CAG संभालने वाले पहले आदिवासी अधिकारी बने जीसी मुर्मू, राष्ट्रपति ने दिलाई शपथ
नई दिल्ली. जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल पद से इस्तीफा देने के एक दिन बाद जीसी मुर्मू को नया नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (CAG) नियुक्त किया गया है। यहां बताने योग्य है कि संस्थान के 162 साल लंबे इतिहास में ये पहली बार है, जब आदिवासी समुदाय से आने वाला कोई व्यक्ति सीएजी बना है। बता दें कि उनके इस्तीफा देने के बाद उनकी जगह पूर्व केंद्रीय मंत्री और बीजेपी के वरिष्ठ नेता मनोज सिन्हा को जम्मू-कश्मीर का उपराज्यपाल नियुक्त किया गया है। ऐसे में देश के राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने शपथ दिलाई। यह शपथ कार्यक्रम राष्ट्रपति भवन में आयोजित किया गया। इसमें पीएम मोदी भी शामिल थे।


वहीं बता दें कि जीएस मुर्मु के इस शपथ समारोह में सोशल डिस्टेंसिंग का विशेष ख्याल रखा गया था। सभी ने मास्क लगाया था और एक-दूसरे से दूरी बनाए रखी थी। गुजरात कैडर के 60 वर्षीय पूर्व आईएएस अधिकारी ने पिछले साल 29 अक्टूबर को इस केंद्र शासित प्रदेश के प्रथम एलजी के रूप में कार्यभार संभाला था। जब नरेन्द्र मोदी गुजरात के मुख्यमंत्री थे, तब मुर्मू ने उनके प्रधान सचिव के रूप में सेवाएं दी थीं।
बता दें कि मुर्मू की आधिकारिक जन्म तिथि 21 नवंबर 1959 है. ऐसे में सीएजी की नियुक्ति से जुड़े नियमों के मुताबिक 65 साल का होने तक या फिर अधिकतम छह वर्ष के लिए कोई इस पद पर रह सकता है। स्वाभाविक तौर पर मुर्मू 21 नवंबर 2025 तक इस पद पर बने रहने वाले हैं। मतलब ये कि मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल के आगे भी मुर्मू का कार्यकाल चलता रहेगा। सुप्रीम कोर्ट के जज की बराबरी वाले इस पद पर गुजरात कैडर का कोई आइएएस अधिकारी पहली बार बैठा है। उससे भी बड़ी बात ये है कि आजादी के बाद आदिवासी कल्याण और हितों की बात करने वाली तमाम राजनीतिक पार्टियों ने, जो सत्ता में रहीं, किसी ने आदिवासी समुदाय के किसी व्यक्ति को सीएजी की कुर्सी पर नहीं बिठाया, वो भी तब जबकि देश को 1947 में मिली आजादी के बाद अभी तक तेरह भारतीय इस पद पर बैठ चुके हैं। इस तरह मुर्मू चौदहवें ऐसे भारतीय हैं, जो इस पद पर बैठे हैं, लेकिन आदिवासी समुदाय से आने वाले पहले व्यक्ति, जो इस पद को संभाल रहे हैं। स्वाभाविक तौर पर इसका क्रेडिट पीएम मोदी के खाते में जाएगा।
मुर्मू की अपनी पढ़ाई उत्कल यूनिवर्सिटी से हुई, राजनीति शास्त्र में बीए और फिर एमए किया। राजनीति शास्त्र का ये औपचारिक ज्ञान मुर्मू के काम पिछले साल भी आया, जब वे आर्टिकल 370 की समाप्ति के बाद पूर्ण राज्य से केंद्र शासित प्रदेश बने जम्मू-कश्मीर के पहले लेफ्टिनेंट गवर्नर के तौर पर नियुक्त हुए। अपने 10 महीने के कार्यकाल में मुर्मू ने राजनीतिक ज्ञान का भली-भांति इस्तेमाल किया।